WHO कोरोना के नए वेरिएंट का नामकरण किया है। भारत में सबसे पहले कोरोना के वैरिएंट B.1.617 को डेल्टा वैरिएंट के नाम से जाना जायेगा लेकिन कोरोना वायरस का वैज्ञानिक नाम और शोध पहले की तरह ही होगा। ठीक उसी तरह से ब्रिटेन में मिले सितम्बर 2020 वाले वायरस का नाम अल्फ़ा रखा गया है। इसी तरह से अलग अलग देशों में मिले कोरोना वैरिएंट्स का नाम ग्रीक अल्फाबेट के हिसाब से रखा गया है। विश्व WHO ने इस बात की घोषणा सोमवार को की है। भारत ने 12 मई को इस बात को लेकर आपत्ति जताई थी की क्यूंकि वैरिएंट B.1.617 को भारतीय वैरिएंट बोला जाने लगा था। कई इंटरनेशनल मीडिया ने अपनी रिपोर्ट्स में भी इसे भारतीय वेरिएंट बताया था।
बता दें कि WHO का भी मानना है की वायरस के किसी भी स्ट्रेन का नाम किसी देश के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। दरअसल B.1.617 variant अभी तक 53 देशों में पाया जा चुका है। वैरिएंट B.1.617 को बहुत संक्रामक और खतरनाक माना गया है इसीलिए इस वायरस को लेकर पूरी दुनिया में वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। दरअसल WHO की एक टीम ने किसी देश के आधार पर किसी वैरिएंट को लेकर विवाद से बचने के लिए ग्रीक अल्फाबेट यानी अल्फा, बीटा, गामा इत्यादि के आधार पर कोरोना वायरस के वैरिएंट के नाम रखने का सुझाव दिया था। WHO ने डेल्टा से पहले भारत में मिले कोरोना वैरिएंट को ‘कप्पा’ नाम दिया है। यह B.1.617 variant पिछले साल अक्टूबर में पहली बार भारत में मिलने की जानकारी मिली थी।